हल्कू किस कहानी का पात्र है? : नमस्ते दोस्तों स्वागत हैं आप सभी का हमारे एक नए ब्लॉग पोस्ट में जिसके हमलोग आज बात करने वाले हैं एक बहुत ही बेहतरीन टॉपिक के बारे में और वो ये हैं की हल्कू किस कहानी का पात्र है? (halku ko kis kahani ka patra hai) और इसके साथ और भी कई सारी चीजों के बारे में हमलोग इस पोस्ट में जानेंगे.
हम लोग में से ज्यादातर ने यह कहानी अपने बचपन के दिनों में जरूर पढ़ रखी हैं.
हल्कू किस कहानी का पात्र है? (Halku kis kahani ka Patra hai)
हल्कू मुंशी प्रेमचन्द के द्वारा लिखी गई एक कहानी पूस की रात का पात्र हैं जिसमे हल्कू एक गरीब किसान रहता हैं, और यह कहानी प्रेमचंद जी ने आज से 102 साल पहले 1921 ईसवी में लिखा था.
मुंशी प्रेमचन्द जी ने यह कहानी “पूस की रात” गांव में रहने वाले किसानों के ऊपर लिखा था जिसमे उन्होंने किसान और ग्रामीण जीवन के बारे में बहुत कुछ बताए हैं जिनसे हम सभी कुछ न कुछ सिख सकते हैं.
कहानी पूस की रात में हल्कू के पास एक छोटा सा खेत रहता हैं जिसमें वो खेती करता हैं और उससे होने वाले कमाई से अपना कर्ज चुकाता और अपने परिवार की भी देख रेख करता हैं.
कहानी में दिखाया गया हैं की हल्कू के पास एक कुत्ता होता हैं जिसका नाम जबरा रहता हैं और यह हर कदम पर हल्कू का साथ देता हैं लेकिन एक दिन कुछ कुछ गलत हो जाता हैं और हल्कू के खेत में नीलगाएं आकार पूरी फसल बर्बाद कर देती हैं.
पूस की रात कहानी का सारांश क्या हैं? (Poos ki raat kahani ka saraansh)
पूस की रात कहानी में मुंशी प्रेमचन्द ने उस समय के किसानों के जीवन के बारे में व्याख्या की हैं जिसमें उन्होंने किसान के जीवन में आने वाली परेशानियां और मुश्किलें से लोगो को अवगत कराया हैं.
कहानी का मुख्य पात्र हैं हल्कू जो उत्तर भारत के एक गांव में रह रहा होता हैं, जिसके साथ उनकी पत्नी और एक कुत्ता रहता हैं वो अपना जीवन यापन करने के लिए एक छोटे से खेत के भरोसे रहते हैं और उसमे खेती करते हैं.
हल्कू अपने फसल की रखवाली करने के लिए अपने कुत्ते जबरा के साथ अपने खेत पर ही सोता था और वो भी पूस महीने की लहलाहगी ठंड में सिर्फ एक कंबल के सहारे.
एक दिन रात को ठंडी ज्यादा हो जाती हैं और हल्कू अपने आप को ठंड से बचाने के लिए अपने बगल में आज जला लेता हैं जिससे उनका और जबरा का शरीर गर्म हो जाए , धीरे धीरे आज बंद हो जाती हैं और हल्कू सो जाता है.
इतने में उनके खेत में बहुत सारी निलगाएं आ जाती हैं और पूरी फसल बर्बाद कर देती हैं , उनका कुत्ता जबरा नीलगांए को देखकर भोंकता रह जाता हैं लेकिन हल्कू उठकर देखता नहीं हैं क्युकी उन्हें भरोसा रहता हैं की जबरा के होते हुए कोई भी जंगली जानवर उनकी फसल बर्बाद नहीं कर सकता हैं.
और आखिर में सुबह हल्कू की पत्नी उसे जगाती हैं और कहती हैं की उनका सारा फसल बर्बाद हो गया है अब लगता हैं मजदूरी करके मालगुजारी यानी की कर्ज चुकानी पड़ेगी.
और इस बात पर हल्कू धीरे से मुस्कुराकर कहता हैं की चलो कम से कम अब रात को ठंड में सोना तो न पड़ेगा.
मुंशी प्रेमचंद के अनुसार इस कहानी पूस की रात को लिखने का तात्पर्य यह हैं की उन्होंने भारतीय किसानों की लाचारी और जीवन के बारे में लोगो को बताया हैं जिनसे लोग जागरूक हो सकें.
निष्कर्ष
तो दोस्तों मै उम्मीद करता हूं की आपको हमारा यह छोटा सा आर्टिकल पसंद आया होगा जिसमे हमने आपको पूस की रात कहानी और हल्कू किस कहानी का पात्र है? | harkhu patra kis kahani se sambandhit hai से जुड़ी कुछ बातें याद दिलाई हैं.
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